Wednesday, July 18, 2012

अलविदा आनंद !



ज़िन्दगी  और  मौत ऊपर  वाले  के  हाथ  हैं  जहाँपना , उसे  नातो  आप  बदल  सकते  हैं न  मैं |  हम  सब  तो  रंग  मंच  की  कठपुतलियाँ   हैं  जिनकी  डोर  ऊपर  वाले  की  ऊँगली  पे  बंधी  हैं | कब  कौन  कैसे  उठेगा  यह  कोई  नहीं  बता  सकता  है |

1 comment:

  1. Indeed, the charisma and magic he exuded on his audience was unparalleled. RIP, Anand

    Anand mara nahi... Anand marte nahi....

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